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Sneha 2023-10-16

The global luxury jewellery market is estimated to be valued at US$56. Porter's Analysis:· Threat of new entrants: The luxury jewellery market is characterized by high barriers to entry, including the need for substantial investment in design, production, and distribution channels. The Asia-Pacific region is expected to be the fastest-growing and dominating region in the luxury jewellery market. These factors have contributed to the increasing demand for luxury jewellery in the Asia-Pacific region. In conclusion, the luxury jewellery market is poised for significant growth, driven by increasing wealth and consumer preferences for luxury products.
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Met jewelry collection 2021-11-08

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DLIFE Interiors 2021-02-17

Think With Niche 2022-06-21

Post Highlightभारतीय शिल्पकला Indian Craft का इतिहास बहुत ही प्राचीन है शिल्पकार शिल्पवस्तुओं के निर्माता और विक्रेता Manufacturers and sellers of Craftsmanship के अलावा समाज में डिजाइनर, सर्जक, अन्वेषक और समस्याएं हल करने वाले व्यक्ति के रूप में भी कई भूमिकाएं निभाता है। भारत में मूर्ति कला, शिल्प कला, हस्तशिल्प, करघा, आभूषण, एवं अन्य बहुत सी कलाएं प्रचलित हैं| भारत की महान कलाओं और शिल्पकारी की समृद्ध विरासत के बारे में सारा विश्व जानता है। क़रीब दो हज़ार साल तक विश्व में भारतीय कपड़ों और हस्तकला से संबंधित वस्तुओं का विश्व में ख़ूब व्यापार होता था और क़िस्म तथा उत्कृष्टता के लिए इनकी बहुत मांग होती थी।भारतीय शिल्प कला का इतिहास बहुत ही प्राचीन है। भारतीय कला और कलाकार सदियों से दुनिया को अपनी अद्भुत कृतियों से आश्चर्यचकित करते रहे हैं। दुनिया भर से लोग भारतीय कला की तरफ खिचे चले आते हैं | प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक भारत के कालक्रम में शिल्पकार को बहुआयामी Multidimensional भूमिका का निर्वाह करने वाले व्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है। शिल्पकार शिल्पवस्तुओं के निर्माता और विक्रेता के अलावा समाज में डिजाइनर, निर्माता,अन्वेषक और समस्याएं हल करने वाले व्यक्ति के रूप में भी कई भूमिकाएं निभाता है। भारत में मूर्ति कला, शिल्प कला, हस्तशिल्प, करघा, आभूषण, Sculpture, Crafts, Handicrafts, Loom, Jewellery, एवं अन्य बहुत सी कलाएं शिल्प कौशल का उदाहरण Craftsmanship examples हैं| शिल्प समुदाय Craft Community की गतिविधियों व उनकी सक्रियता का प्रमाण हमें सिंधु घाटी सभ्यता Indus Valley Civilization में मिलता है। इस समय तक ‘विकसित शहरी संस्कृति’ का विकास development of urban culture हो चुका था, जो अफगानिस्तान से गुजरात तक फैली थी। इस स्थल से मिले सूती वस्त्र और विभिन्न, आकृतियों, आकारों और डिजाइनों के मिट्टी के बर्तन Clay Pots, कम मूल्यवान पत्थरों से बने मनके, चिकनी मिट्टी से बनी मूर्तियां, मोहरें (सील) शिल्प संस्कृति की ओर इशारा करते हैं। समय के साथ-साथ भारतीय जीवन शैली Indian lifestyle में इनकी जगह कम रह गयी। लोग पश्चिम की नक़ल करने के चक्कर में अपनी कला एवं कलाकारों को भुला बैठे हैं |भारतीय शिल्पकलाओं को अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष क्यों करना पड़ रहा है? भारत में शिल्पकलाओं की जितनी क़िस्में और प्रकार हैं, उन्हें समझना बहुत मुश्किल है। हर क्षेत्र की उसकी हस्तकला में विशेषज्ञता है। कपड़ा हो, लकड़ी का काम हो, पैंटिंग और भित्ति चित्र हों, गहने हों या फिर खिलौने हों, प्रत्येक हस्तकला का अपना एक ख़ास स्थान है। इस ब्लॉग में शिल्पकलाओं की कहानियों और उनके इतिहास पर रौशनी डालने के लिए खराद lathe,रोग़न, ढोकरा, बिदरी, पत्तचित्र Rogan, Dhokra, Bidri, Patchitra जैसे कई और कला- रुपों पर विचार किया गया। कई पीढ़ियों से कारीगर समुदाय अपनी कलाओं में मशरूफ रहे हैं और वे उस परंपरा को चला रहे हैं जो हज़ारों साल पुरानी है। इसके बावजूद इन कारीगरों या फिर इन अनगिनत कलाओं को लोगों के सामने लाने के लिए ज़रूरी कोशिशें नहीं की गई हैं। अगर देखा जाए तो आज भी भारत में हस्तशिल्प आय का वैकल्पिक स्रोत है, जहाँ आज भी कई लोग अपने पुराने शिल्प कार्यों को करने में कोई शर्म नहीं करते हैं। कई समुदायों Communities की अर्थव्यवस्था का आधार भी। यही माना जाता है फिर भी पिछले कुछ वर्षों से भारतीय कला एवं कलाकारों को एक नई उम्मीद दिखी है, साथ ही भारत सरकार Indian government भी देश के विकास के लिए एवं भारतीय कला के पुनरोत्थान Resurrection के लिए प्रयास करती दिख रही है | भारत सरकार द्वारा चलायी गयी “मेक इन इंडिया Make in India” योजना भारतीय कलाकारों Indian Artists के लिए एक उम्मीद की किरण लेकर आयी है | इसके तहत भारत में उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है। दुर्भाग्य से इनमें से ज़्यादातर शिल्पकलाएं आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं। एक तरफ़ जहां कुछ शिल्पकलाएं फिर से चलन में आ गईं हैं साथ-साथ इस महत्वाकांक्षी योजना का लक्ष्य भारतीय कलाकारों को कला प्रदर्शन के लिए एक बेहतर मौका देना भी है |भारत की कला और शिल्प को कैसे पुनर्जीवित कर बढ़ावा दिया जा सकता है? शिल्प और शिल्पकारों को मान्यताइस क्षेत्र में काम करने वाले लाखों शिल्पियों के कामों को मान्यता देने की ज़रुरत है क्यों कि हम उन्हें माहिर शिल्पकारों के रुप में नहीं देखते हैं। उनकी रचनाएं शाश्वत, कालातीत और अमूल्य हैं। उन्हें समाज में इसी लिहाज़ से सम्मान और प्रतिष्ठा मिलनी चाहिए । सभी इस बात पर सहमत होंगे कि शिल्प की सही एहमियत, कठिन परिश्रम, इसके इतिहास, परंपराओं और शिल्प कला की हमारी धरोहर को जब तक हम मान्यता नहीं देंगे, हम इसे दुनिया के सामने बेहतर तरीक़े से नहीं रख सकते। हमें उनकी सराहना करने की ज़रुरत है, उन्हें मान्यता देने की ज़रुरत है और उन्हें संरक्षण देने की ज़रुरत है।2. बेहतर सरकारी नीतियांहमारी नीतियां शिल्प-अनुकूल Craft Friendly होने चाहिए । उदाहरण के लिए शिल्प के सामानों पर भारी कर और सोने या चांदी पर आयात कर की वजह से शिल्पिकारों के लिए समस्याएं पैदा हो जाती हैं। शिल्पकारों को इन करों से मुक्त कर देना चाहियए ताकि वे आसानी से बाज़ार में अपना सामान बेच सकें।4. शिक्षा प्रणाली और प्रालेखन में सुधारस्कूल के पाठ्यक्रम में पारंपरिक कला Traditional Art और शिल्प के विषयों को शामिल किया जाना चाहिए ताकि बच्चों को कम उम्र से ही कला के इन रूपये की जानकारी मिल सके। इन शिल्प कलाओं के बेहतर प्रालेखन की भी ज़रुरत है ताकि आगे आने वाली पीढ़ि के लिए ये सनद रहे। इससे हमें हमारी विविधता वाली शिल्प कला के ज्ञान-कोष Knowledge Base और इसके बारे में जानकारी पैदा करने में मदद मिल सके।भारत के शिल्प और शिल्पकार यहां की लोक एवं शास्त्रीय परंपरा Folk and Classical Traditions का अभिन्न अंग हैं। यह ऐतिहासिक मेल-जोल भारत में कई हजार वर्षों से निहित है। अगर हम देखें तो पाएंगे कि कृषि अर्थव्यवस्था में आम लोगों और शहरी लोगों दोनों के लिए प्रतिदिन उपयोग के लिए हाथों से बनाई गई वस्तुएं शिल्प की दृष्टि से भारत की सांस्कृतिक परंपरा Cultural Tradition Of India को दर्शाती हैं। इतनी विधताओं के चलते जहाँ शिल्पकार लोगों को जातिगत तथा जाति प्रथा के रूप में पुरानी प्रथाओं के ढांचे में बांटा गया, लेकिन उनके कौशल को सांस्कृतिक Cultural to Skill और धार्मिक आवश्यकताओं द्वारा प्रोत्साहित किया गया एवं स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय व्यापार National and International Business द्वारा इसे गति प्रदान की गई।Tags: quality craftsmanship, craftsmanship examples, craftsmanshipइस लेख को पूरा पढ़ने के लिए कृपया लिंक पर क्लिक करें -लेटेस्ट हिंदी बिज़नेस न्यूज़ पढ़ने के लिए कृपया लिंक पर क्लिक करें -
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High Gloss Furniture Specialists 2020-02-13

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Mena Boles 2024-06-14

If you're a dog lover, why not consider incorporating bulldog figurines into your bedroom decor? For dog lovers, bulldog figurines can be the perfect addition to your bedroom decor. Not only do bulldog figurines make great bedroom decor, but they also make wonderful gifts for fellow dog lovers. To complement your bulldog figurines, consider incorporating other elements of bedroom decor that tie into the dog lover theme. In conclusion, bulldog figurines are the perfect bedroom decor designs for dog lovers.
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